top of page

महाशिवरात्रि पूजन और कुछ ज्योतिषीय विशेष उपाय


महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि

प्रकृति में ही शिव हैं। भीषण गर्मी, वर्षा के बाद, जब सूर्य कन्या राशि में गोचर करते हुए, पृथ्वी के लिए दुर्बल होने लगते हैं, तो प्राचीनकाल में मनुष्य का जीवन कठिन होने लगता था। सूर्य उत्तरायण होने के बाद क्रमश पृथ्वी के लिए अनुकूल होने लगते हैं। प्रकृति फिर से धरती को उर्वर करने लगती है। नए जीवन का संचार होता है। यही शिव हैं। शिव और शक्ति का मिलन है। महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो फाल्गुन माह में मनाया जाता है। यह दिन भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष रूप से समर्पित है और हर साल फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। चतुर्दशी तिथि भगवान शिव के प्रति समर्पित होती है, और इस दिन उनका रुद्राभिषेक किया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों पर भगवान शिव की विशेष कृपा होती है।

इस दिन स्त्री पुरुष अपने जीवन में सुख, समृद्धि और परिवार की खुशहाली के लिए निर्जला व्रत रखते हैं, जो सूर्योदय के बाद अगले दिन तिथि समापन पर समाप्त होता है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा से व्यक्ति के कष्टों का निवारण होता है और उसके भाग्य में सुधार होता है। इस वर्ष महाशिवरात्रि 26 फरवरी, बुधवार को मनाई जाएगी।

पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि २६ फरवरी को सुबह ११:०८ बजे शुरू होगी और २७ फरवरी को सुबह ८:५४ बजे समाप्त होगी। महाशिवरात्रि के दिन रात्रि के समय पूजा का विशेष महत्व है, इसलिए 26 फरवरी की रात महादेव की पूजा की जाएगी।


निशिथ काल का समय: २७ फरवरी को रात्रि १२:०९से १२:५९ तक रहेगा।

पूजन के समय:

  • प्रथम पहर: २६ फरवरी को शाम ६:१९ से रात ९:२६ तक।

  • दूसरा पहर: २६ फरवरी को रात ९:२६ से २७ फरवरी को मध्यरात्रि १२:३४ तक।

  • तीसरा पहर: २७ फरवरी को मध्यरात्रि १२:३४ से सुबह ३:४१ तक।

  • चौथा पहर: २७ फरवरी को सुबह ३:४१ से ६:४८ तक।


महाशिवरात्रि के दिन महादेव का जलाभिषेक बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह निम्नलिखित समय पर किया जा सकता है:

  • सुबह ६:४७ से ९:४२ बजे तक।

  • दोपहर ११:०५ से १२:३५ बजे तक।

  • दोपहर ३:२५ से शाम ६:०८ बजे तक।

  • रात ८:५४ से १२:०१ बजे तक।

महाशिवरात्रि के चारों पहरों में भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है, इसके बाद हवन किया जाता है। इस दिन भगवान शिव की मूर्ति का पंचामृत से अभिषेक करें पूरी रात दीप जलाकर रखें और चंदन का तिलक लगाएं। भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र और दक्षिणा अर्पित करें। अंत में केसरयुक्त खीर का भोग अर्पित कर प्रसाद वितरित करें।

महाशिवरात्रि पर शिव पुराण का पाठ करें। महाशिवरात्रि की रात जागरण का भी विशेष महत्व है।


महाशिवरात्रि पर खास उपाय:

अगर आप अपनी चन्द्र राशि से अवगत हैं, तो आप पूजन के चारों प्रहरों में से अपने लिए सही प्रहर का चुनाव कर सकते हैं।

वैसे तो शिवरात्रि में चारों प्रहर में पूजन करने की विधि है। मगर उनमें से आपकी राशि के अनुसार किस प्रहर का महत्व है, आप देख सकते हैं।

 

मेष, सिंह, धनु - प्रथम प्रहर

वृषभ, कन्या, मकर- दुसरे प्रहर

मिथुन, तुला, कुम्भ- तीसरे प्रहर

कर्कट, वृश्चिक, मीन- चौथा प्रहर

 

चारों प्रहर में आप अभिषेक करते समय किस वस्तु का उपयोग करें तो लाभ होगा-

प्रथम प्रहर - जल

दुसरे प्रहर- दही

तीसरे प्रहर - घी

चौथा प्रहर - शहद

 

अगर आप ज्योतिष का ज्ञान रखते हैं, और कुंडली ज्योतिष समझते हैं, तो आप अपना ताजक कुंडली बनाकर अपने इस वर्ष के मुन्थेष को चिह्नित कीजिए। वर्षफल में मुन्था और मुन्थेष महत्वपूर्ण होते हैं। उनकी परिस्थिति आपको इंगित करती है, आपके वर्ष के बारे में।

 

आपके मुन्थेष कि डिग्री के आधार पर आपके पूजन का प्रहर निश्चित कर सकते हैं।

० डिग्री- ७.५ डिग्री- प्रथम प्रहर -जल

७.५ डिग्री- १५ डिग्री- दुसरा प्रहर- दही

१५ डिग्री- २२.५ डिग्री- तीसरा प्रहर - घी

२२.५ डिग्री- ३० डिग्री-चौथा प्रहर - शहद

 

इस तरह आप अपनी शिवरात्रि के शिव पूजन को विशेष बना सकते हैं।शिवरात्रि पर भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान चालीसा का पाठ करने से दोनों की विशेष कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की सभी समस्याएं दूर होती हैं।


 

टिप्पणियां

5 स्टार में से 0 रेटिंग दी गई।
अभी तक कोई रेटिंग नहीं

रेटिंग जोड़ें

Get in touch with an Astro expert

Thanks for submitting!

FOLLOW US ELSEWHERE

  • Facebook
  • Instagram
Sun for enlightenment. A human palm for action and knowing self, ashwattha depicts ancient knowledge

ज्योतिष व विभिन्न रोचक विषयों के लिए जुड़े रहें

टाईमटॉक एस्ट्रो समुदाय में आपका स्वागत है

  • Instagram
  • Facebook
  • Youtube

© 2024 by Timetalk Astro. Powered and secured by Wix

bottom of page